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राष्ट्रीय युवा वाहिनी परिवार के प्रमुख उद्देश्य..

हमारा मुख्य उद्देश्य भारत को वैदिक सनातन राष्ट्र बनाना है | !! जय श्रीराम !!

राष्ट्रीय युवा वाहिनी एक सामाजिक और धार्मिक बिन्दुओ पे आधारित संगठन है जो की हमारी मूल संस्कृति को बचाने और देश के विकाश के लिए कार्यरत है और हमारा मुख्य उद्देश्य भारत को वैदिक सनातन राष्ट्र बनाना है जो की निम्न्वत हैं...
  • हिन्दू बोर्ड का गठन
  • गौ रक्षा
  • गुरुकुल की स्थापना
  • रक्तदान
  • वृक्षारोपड़
  • नशा उन्मूलन केंद्र खोलना
  • वृद्धा आश्रम की स्थापना
  • रोटी बैंक की स्थापना
  • स्वक्षता जागरूकता कार्यक्रम
  • वीर सावरकर भारत रत्न उपाधि

हिन्दू बोर्ड का गठन क्यों है जरूरी ? एक बड़ा सवाल...

हर न जानने वाले व्यक्ति की यही शिकायत है कि हिन्दू मंदिरों में जो करोड़ो का दान आता है पर यह पैसा हिन्दुओं के कल्याण में खर्च क्यों नहीं करते |

सत्य जानना है तो कानून क्या है पढ़िए कड़वा है अनजान सच हिन्दू धर्म दान एक्ट 1951

इस एक्ट के जरिये कांग्रेस ने राज्यों को ये अधिकार दे दिया है की वह किसी भी सनातनी मंदिर को सरकार के अधीन कर सकते हैं |

इस एक्ट के बनने के बाद से आंध्र प्रदेश सरकार ने लगभग 34000 मंदिरों को अपने अधीन ले लिया था और कर्नाटक, महाराष्ट्र ,उड़ीसा तमिलनाडु ने भी सनातनी मंदिरों को अपने अधीन कर लिया था इसके बाद शुरू हुआ मंदिरों के चढ़ाये में भ्रष्टाचार का खेल |

उदाहरण के लिए तिरुपति बालाजी मंदिर की सालाना कमाई लगभग Rs3500 करोड़ है मंदिर में रोज बैंक से २ गाड़ियां आती हैं और मंदिर को मिले चढ़ावे की रकम को ले जाती हैं इतना फण्ड मिलने के बाद भी तिरुपति मंदिर को सिर्फ 7 वापस मिलता है रखरखाव के लिए

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व्हाई आर एस रेड्डी ने तिरुपति की सात पहाड़ियों में से ५ को सरकार को देने का आदेश दे दिया था

इन पहाड़ियों पर चर्च का निर्माण किया जाना था मंदिरों को मिलने वाली चढ़ाई की रकम में से 80 प्रतिशत गैर हिन्दू कामो के लिए दिया जाता है

तमिलनाडु केरल कर्नाटक हर राज्यों में यही हो रहा है सनातन धर्म के मंदिर से मिलने वाली रकम का इस्तेमाल मस्जिदों और चर्चों के निर्माण में किया जाता है मंदिरों के फण्ड में भ्रस्टाचार का आलम यह है की कर्नाटक के 200000 मंदिरों में लगभग 50000 मंदिर रखरखाव के आभाव के कारण बंद हो गए हैं

दुनिया के किसी भी लोकतांत्रिक देश में धार्मिक संस्थाओं को सरकारों द्वारा कंट्रोल नहीं किया जाता है ता की लोगों की धार्मिक आजादी का हनन न हो पाए लेकिन भारत में ऐसा हो रहा है की सरकारों ने सनातन धर्म से द्वेष के कारण इसके मंदिरों को अपने कब्जे में इस लिए किया क्यों की उन्हें पता था की मंदिरों के चढ़ावे से सनातन धर्म का काफी बढ़ावा हो सकता है लेकिन सिर्फ मंदिरों को ही कब्जे में ले लिया जाता है मस्जिदों और चर्चो पे सरकार का कंट्रोल नहीं है इतना ही नहीं मंदिरों से मिलने वाले फण्ड का इस्तेमाल मस्जिद और चर्च के लिए किया जाता है

इन सब का कारण अगर खोजें तो 1951 में पास किया हुआ कांग्रेस का वह बिल है जिसे सरदार बल्ल्भभाई पटेल ने विरोध करते हुए जवाहरलाल नेहरू को डांट दिया था पर जवाहरलाल ने जामा मस्जिद जाकर गोल टोपी पहनी उसी दिन यह बिल पास करा कर राष्ट्रपति के पास अनुमोदन के लिए भेज दिया देश में मंदिरों के फण्ड का इस्तेमाल मस्जिद चर्च के लिए हो रहा है

सभी प्रकार से विश्व की सबसे मजबूत आबादी सनातनी होती अगर मंदिर का चढ़ावा मंदिर के पास होता और इसकी शिक्षा अंग्रेजों को न सौंप दी होती यह काम आज हिन्दुओ के साथ हो रहा है

और इस भ्रम में बिल्कुल न रहें की मंदिर के धन से पुजारी मौज करते हैं यह मात्रा मिडिया और कुछ मुर्ख लोगों द्वारा बोल बचन है, अगर ऐसा होता तो मस्जिद और चर्च के मौलवी पादरी क्या करते हैं इसलिए भ्रम में बिल्क़ुल न रहें और जगरूप बने !

हमें यह बदलना है हमारे मंदिरों की आय हमारे गरीब व् निरर्धनो की शिक्षा संस्कार सभ्यता व् सुरक्षा के लिए हिन्दू बोर्ड का गठन किया जा रहा है आप कुछ नहीं तो कम से कम सहयोग तो कर ही सकते हैं | धन्यवाद..!